वायनाड से सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने शुक्रवार को लोकसभा में अपना पहला भाषण दिया। चर्चा का विषय था ‘भारत के संविधान की 75 वर्षों की गौरवशाली यात्रा’। अपने डेब्यू भाषण में प्रियंका गांधी ने संविधान की अहमियत और किसानों की समस्याओं से लेकर उद्योगपतियों को सरकारी मदद जैसे मुद्दों पर केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया।
प्रियंका गांधी ने संविधान की गरिमा को रेखांकित करते हुए कहा, “भारत का संविधान सिर्फ एक दस्तावेज नहीं है, यह इंसाफ और उम्मीद की ज्योत है।” उन्होंने आरएसएस पर हमला बोलते हुए कहा कि हमारा संविधान “आरएसएस का विधान” नहीं है। उन्होंने सत्ता पक्ष पर आरोप लगाया कि अगर लोकसभा चुनाव में परिणाम उनके पक्ष में नहीं आए होते, तो वे संविधान बदलने की दिशा में कदम उठा सकते थे।
किसानों और उद्योगपतियों के मुद्दे पर हमला
प्रियंका गांधी ने कृषि कानूनों और किसानों की स्थिति पर बात करते हुए कहा, “वायनाड से लेकर ललितपुर तक देश का किसान रो रहा है। आपदा आती है तो कोई राहत नहीं मिलती। आज का किसान भगवान भरोसे है।” उन्होंने यह भी कहा कि सरकार के बनाए सभी कानून बड़े उद्योगपतियों के हितों के लिए हैं।
अडानी और निजीकरण का मुद्दा
अडानी समूह पर निशाना साधते हुए प्रियंका गांधी ने कहा, “सरकार ने सारे कोल्ड स्टोरेज और संसाधन अडानी को दे दिए। आज, 142 करोड़ जनता को नकार कर एक व्यक्ति को फायदा पहुंचाया जा रहा है।” उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की नीतियां केवल चुनिंदा अमीरों को और अधिक समृद्ध बना रही हैं, जबकि गरीब और गरीब होता जा रहा है।
जातिगत जनगणना और आरक्षण पर सवाल
जातिगत जनगणना और आरक्षण को लेकर उन्होंने कहा कि सरकार लेटरल एंट्री और निजीकरण के जरिए आरक्षण को कमजोर कर रही है। उन्होंने पूछा, “नारी शक्ति अधिनियम तो लाए हैं, लेकिन उसे लागू क्यों नहीं करते? क्या महिलाएं 10 साल तक इंतजार करेंगी?”
नेहरू और इतिहास पर सत्ता पक्ष को घेरा
प्रियंका गांधी ने सरकार को इतिहास पर केंद्रित बयानबाजी के लिए फटकार लगाई। उन्होंने कहा, “क्या सारी जिम्मेदारी नेहरू की है? आप हमेशा पुरानी बातें करते हैं। आज की बात करिए।” उन्होंने नेहरू की भूमिका और उनके द्वारा स्थापित सार्वजनिक उपक्रमों की महत्ता को भी रेखांकित किया।
प्रियंका गांधी का पहला भाषण विपक्ष की मजबूत उपस्थिति का परिचय था। उन्होंने सरकार को कई मुद्दों पर घेरते हुए स्पष्ट किया कि कांग्रेस संविधान, आरक्षण और किसानों जैसे संवेदनशील मुद्दों पर सरकार की नीतियों का कड़ा विरोध करेगी।