बिहार के पूर्णिया से लोक सभा सांसद पप्पू यादव ने लोकसभा में केंद्र सरकार और केंद्रीय जांच एजेंसियों, विशेषकर प्रवर्तन निदेशालय (ED), पर तीखा हमला बोला। बुधवार (14 दिसंबर) को लोकसभा में अपने संबोधन के दौरान पप्पू यादव ने न केवल ईडी की कार्रवाई पर सवाल उठाए, बल्कि देश के शिक्षा और आरक्षण के मुद्दों पर भी गंभीर चिंता व्यक्त की। इसके अलावा, उन्होंने वन नेशन वन इलेक्शन के मुद्दे पर भी कड़ा विरोध जताया।
ईडी की कार्रवाई पर सवाल
पप्पू यादव ने लोकसभा में एक दर्दनाक मामला साझा किया, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि ईडी के अधिकारियों ने एक छोटे बच्चे के परिवार को डराया और धमकाया। यादव ने बताया कि इस बच्चे ने अपनी गुल्लक में जमा पैसे राहुल गांधी को दी थी। ईडी अधिकारियों ने इस परिवार से कहा कि यदि वे राहुल गांधी के खिलाफ बयान देंगे और कांग्रेस पार्टी जॉइन करेंगे, तो उनके खिलाफ चल रही कार्रवाई को रोक लिया जाएगा। पप्पू यादव ने यह भी कहा कि दबाव में आकर बच्चे के माता-पिता ने आत्महत्या कर ली। पप्पू यादव ने इसे ईडी की “गुंडागर्दी” करार दिया और कहा कि इस मामले पर गंभीर विचार करने की आवश्यकता है।
शिक्षा और निजीकरण पर चिंता
पप्पू यादव ने शिक्षा के निजीकरण पर भी चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि देश में शिक्षा का अधिकार हर नागरिक का है, लेकिन “वन नेशन वन इलेक्शन” की बात तो हो रही है, लेकिन “वन नेशन, वन एजुकेशन” या “फ्री एजुकेशन” पर कोई चर्चा नहीं हो रही। यादव ने बिहार में बीपीएससी (BPSC) की तैयारी कर रहे एक छात्र की दुर्दशा का उदाहरण दिया, जिसे पटना के डीएम द्वारा थप्पड़ मारकर खदेड़ा गया था। उन्होंने यह सवाल उठाया कि क्या हम छात्रों को उचित शिक्षा दे रहे हैं? क्या हम निजीकरण के इस बढ़ते प्रभाव को खत्म करने के लिए कुछ कदम उठाएंगे?
आरक्षण पर पप्पू यादव का प्रस्ताव
पप्पू यादव ने लोकसभा में आरक्षण के मुद्दे पर भी चर्चा की और कहा कि यदि हम देश के विकास की बात करते हैं, तो यह आवश्यक है कि देश धर्म, जाति, भाषा और रंग के आधार पर न बंटे। उन्होंने बिहार में आरक्षण की नीति को समय के हिसाब से पुनः परिभाषित करने की बात की और साथ ही यह सुझाव दिया कि प्राइवेट नौकरियों में 67 प्रतिशत आरक्षण लागू किया जाए। इसके अलावा, उन्होंने ठेकेदारी प्रथा में दलितों, एससी और एसटी समुदायों को विशेष स्थान देने की बात की।
निजीकरण पर सवाल
पप्पू यादव ने केंद्र सरकार से यह भी पूछा कि कब तक निजीकरण जारी रहेगा और कब तक सरकारी सेवाओं की अनदेखी की जाएगी। उन्होंने कहा कि निजीकरण से केवल अमीरों को फायदा हो रहा है, जबकि गरीब और मध्यम वर्ग के लोग इसका सबसे ज्यादा नुकसान उठा रहे हैं। उन्होंने सरकार से अपील की कि शिक्षा, बिजली और अन्य बुनियादी सेवाओं के निजीकरण पर पुनः विचार किया जाए, ताकि हर नागरिक को समान अवसर मिल सके।
वन नेशन वन इलेक्शन पर विरोध
पप्पू यादव ने वन नेशन वन इलेक्शन बिल का विरोध करते हुए कहा कि यह कोई समाधान नहीं है। उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार को ईवीएम (EVM) और बैलेट पेपर पर पहले बात करनी चाहिए। पप्पू यादव ने कहा कि चुनाव महंगे हो रहे हैं और 300 से 400 करोड़ रुपये का खर्च हर चुनाव में किया जा रहा है, जो देश के टैक्सपेयर्स के पैसे का अपव्यय है। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि चुनावों के लिए विज्ञापन दिए जा रहे हैं, और यह खैरात बांटी जा रही है।
सरकार को समर्पित सुझाव
पप्पू यादव ने सरकार से “वन नेशन वन हेल्थ,” “वन नेशन वन एजुकेशन,” “वन नेशन वन जस्टिस” की मांग की। उन्होंने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि सरकार पहले नागरिकों के मौलिक अधिकारों और रोजगार पर ध्यान केंद्रित करे। उनका मानना था कि अगर हम संविधान की बात करते हैं तो सभी को समान अधिकार मिलने चाहिए, और यह जरूरी है कि सरकार अपने इस कर्तव्य को पूरा करे।
प्रधानमंत्री और ईडी पर हमला
पप्पू यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी निशाना साधते हुए कहा कि जब एक उंगली दुनिया की तरफ उठती है, तो तीन उंगलियां खुद की तरफ भी उठनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग ईडी की कार्रवाइयों का शिकार हो रहे हैं, उनके परिवारों को आत्महत्या करने के लिए मजबूर किया जा रहा है, और इस पर प्रधानमंत्री और सरकार को गंभीरता से विचार करना चाहिए।
पप्पू यादव का यह भाषण लोकसभा में गूंज उठा और विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच इसके प्रभाव पर चर्चा हुई। उन्होंने अपने भाषण में शिक्षा, आरक्षण, निजीकरण, और वन नेशन वन इलेक्शन जैसे मुद्दों पर सरकार को घेरा। उनका मानना है कि सरकार को आम आदमी, विशेषकर गरीबों और युवाओं के हित में काम करना चाहिए और मौजूदा नीतियों पर पुनः विचार करना चाहिए।