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वामपंथी पार्टियों को साहसपूर्ण आक्रामक होने की जरूरत है – अनीश अंकुर

वामपंथ के समक्ष राजनैतिक चुनौतियां विषय पर केदार दास श्रम व समाज अध्ययन संस्थान द्वारा विमर्श का आयोजन

पटना: वामपंथ की जितना राजनीतिक ताकत है, उकसा जितना फैलाव है, उससे हमेशा कम करके बताया जाता है। यह वामपंथ के सामने सबसे बड़ी राजनीतिक चुनौती है। उक्त बातें प्रगतिशील लेखक संघ के उपमासचिव व सुप्रसिद्ध संस्कृतिकर्मी अनीश अंकुर ने कहा। वे सोमवार को कम्युनिस्ट नेता रहे कॉमरेड जननायक चंद्रशेखर सिंह के जन्म शताब्दी समारोह के मौके पर आयोजित सेमिनार को संबोधित कर रहे थे। पटना के जनशक्ति परिसर में केदार दास श्रम व समाज अध्ययन संस्थान द्वारा “वामपंथ के समक्ष राजनैतिक चुनौतियां” विषय पर सेमिनार आयोजित किया गया।

अनीश अंकुर ने कहा कि अभी चुनाव का समय है। वामपंथी साथियों के बीच ऐसी चर्चाएं होती है कि ‘ कितना सीट मिलेगा, ‘एक मिलेगा या दो’ मतलब हम दूसरे पर निर्भर हैं! दूसरे पूंजीवादी दल भी जिसके साथ हम काम करते हैं वो वामपंथ के ताकत को कम करके बताते हैं। उन्होंने कहा इस चुनौती से निपटने के लिए वामपंथी पार्टियों को थोड़ा आक्रामक होने की जरूरत है।  चुनाव में अगर कोई पूंजीवादी दल वामपंथी दलों को दो सीटों पर समर्थन दे रही है तो वो भी दो सीटों पर दे। ज्यादे से ज्यादे बीस और पच्चीस सीटों पर दे। हमें अपने लड़ाई को साहस के साथ आक्रामक बनाने की जरूरत है। अपने बात को ताकत के साथ रखने की जरूरत है।

गरीबी और बेरोजगारी को प्रमुख समस्या मानना होगा।

उन्होंने कहा देश के सामने आज सबसे बड़ी चुनौती गरीबी और बेरोजगारी है। एक आंकड़े के मुताबिक 2014 से पूर्व 24 दिहाड़ी मजदूर प्रतिदिन आत्महत्या करते थे।  लेकिन वर्ष 2022 के आंकड़े के मुताबिक यह संख्या 124 प्रतिदिन हो गई। पेशेवर कर्मचारियों में पिछले 9 साल में आत्महत्या की दर 5 गुना बढ़ गई है। इससे पता चलता है कि कितना गहरा संकट की स्थिति है। इस बात को हमें छात्र-नौजवान, मजदूर-किसान एवं पेशेवर कर्मचारियों के बीच पहुंचना होगा।

आगे उन्हौने कहा आज गरीबी और बेरोजगारी प्रमुख समस्या है। लेकिन वामपंथ की राजनीतिक चुनौति है की उसके राजनीतिक विमर्श में यह चुनौती केवल पैसिव रिफरेंस के रूप में आता है। उसे लगता है कि मुख्य चुनौती फांसीवाद और सांप्रदायिकता है। लेकिन हमें समझना होगा की सांप्रदायिक ताकतों को बढ़ावा बेरोजगारी से ही मिलता है। हमें गरीबी और बेरोजगारी की समस्या को प्रमुख समस्या मानकर काम करना होगा और इस मुद्दे पर अपने सहयोगी दलों से समझौता करना होगा।

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