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अनीश अंकुर की पुस्तक ‘रंगमंच के सामाजिक सरोकार’ का लोकार्पण

पटना पुस्तक मेले में बिहार के सुप्रसिद्ध संस्कृतिकर्मी अनीश अंकुर की बहुप्रतीक्षित पुस्तक ‘रंगमंच के सामाजिक सरोकार’ का लोकार्पण एक भव्य समारोह के साथ संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम में साहित्य, रंगमंच और समाजसेवा से जुड़े कई प्रतिष्ठित व्यक्तित्व शामिल हुए। कार्यक्रम ने न केवल साहित्य प्रेमियों बल्कि रंगमंच के कलाकारों और शोधकर्ताओं का भी ध्यान खींचा।

लोकार्पण के मुख्य अतिथि और गणमान्य हस्तियां:
पुस्तक का लोकार्पण हिंदी के प्रख्यात कवि आलोकधन्वा, साहित्य अकादमी से सम्मानित कवि अरुण कमल, चर्चित लेखक और नाट्य समीक्षक हृषीकेश सुलभ, प्रगतिशील कथाकार संतोष दीक्षित, मैथिली के प्रसिद्ध नाट्य निर्देशक कुणाल, भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) के राष्ट्रीय महासचिव तनवीर अख्तर, वरिष्ठ अभिनेता सुमन कुमार, जनगायक अनिल अंशुमन और प्रकाशन संस्थान के निदेशक हरिश्चंद्र शर्मा ने संयुक्त रूप से किया।

पुस्तक और लेखक के विचार:
पुस्तक के लेखक अनीश अंकुर ने अपने संबोधन में कहा, “बिहार में रंगमंच पर बहुत कम साहित्य उपलब्ध है। मेरी यह किताब इस कमी को पूरा करने का एक प्रयास है। यह पुस्तक रंगमंच और समाज के बीच के रिश्तों को समझने की कोशिश है। इसका उद्देश्य नए रंगकर्मियों को सामाजिक सरोकारों से जोड़ना है।”

उन्होंने बताया कि इस किताब में नाटकों के इतिहास, समाज से उनके जुड़ाव और उनकी प्रासंगिकता पर गहराई से चर्चा की गई है। यह पुस्तक न केवल रंगमंच के कलाकारों के लिए बल्कि साहित्य और समाज विज्ञान के शोधार्थियों के लिए भी उपयोगी है।

वक्ताओं के विचार:
लोकार्पण समारोह में उपस्थित वक्ताओं ने पुस्तक की प्रासंगिकता और इसकी उपयोगिता पर अपने विचार साझा किए।

  • प्रख्यात कवि आलोकधन्वा ने कहा, “यह पुस्तक नाटक को समझने के लिए बेहद जरूरी है। रंगकर्मियों के लिए इसे पढ़ना अनिवार्य होना चाहिए।”
  • साहित्य अकादमी से सम्मानित कवि अरुण कमल ने इसे “अनीश अंकुर की पहली मुकम्मल किताब” बताते हुए कहा कि “यह पुस्तक न केवल बिहार की नाट्य परंपरा को रेखांकित करती है, बल्कि इसमें ब्रेख्त और शेक्सपियर जैसे दिग्गजों के संदर्भ भी शामिल हैं।”
  • चर्चित लेखक और नाट्य समीक्षक हृषीकेश सुलभ ने इसे रंगमंच के इतिहास का दस्तावेज़ बताते हुए कहा, “यह पुस्तक कई ऐसे रंगकर्मियों का काम सामने लाती है जो अब तक गुमनाम थे।”

मैथिली के प्रसिद्ध नाट्य निर्देशक कुणाल ने लेखक के नए पहलू पर चर्चा करते हुए कहा, “मैं अब तक उन्हें एक अभिनेता के रूप में जानता था, लेकिन यह पुस्तक उनके एक गंभीर शोधकर्ता और समीक्षक रूप को प्रस्तुत करती है।”
प्रगतिशील कथाकार संतोष दीक्षित ने कहा, “हमारे सामाजिक सरोकार आज संकट में हैं। ऐसे समय में यह पुस्तक साहित्यकारों और रंगकर्मियों को एक नई दिशा देगी।”
इप्टा के राष्ट्रीय महासचिव तनवीर अख्तर ने इस पुस्तक की खासियत बताते हुए कहा, “इसमें संग्रहित साक्षात्कार नाटक और समाज के रिश्तों को और स्पष्ट करते हैं।”

वरिष्ठ अभिनेता सुमन कुमार ने इस पुस्तक को रंगमंच के लिए ऐतिहासिक महत्व की बताया। जनगायक अनिल अंशुमन ने कहा, “यह किताब बिहार के रंगकर्मियों को मान-सम्मान दिलाने वाला एक महत्वपूर्ण प्रयास है।”

कार्यक्रम की गरिमा बढ़ाने वाले अन्य उपस्थितजन:
कार्यक्रम में लेखक अरुण सिंह, पटना कॉलेज के प्राचार्य प्रो. एन.के. चौधरी, चर्चित कवि डॉ. विनय कुमार, मुसाफिर बैठा, अंचित, चंद्रबिंद, राजेश कमल, निवेदिता झा, निखिल आनंद गिरि, डॉ. सर्वेश कुमार और सुनील कुमार सिंह जैसे कई अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।

अनीश अंकुर

रंगमंच के सामाजिक सरोकार’ न केवल बिहार बल्कि पूरे देश के रंगमंच की परंपरा और इसके सामाजिक जुड़ाव पर एक महत्वपूर्ण दस्तावेज के रूप में उभरने की क्षमता रखती है। यह पुस्तक नाट्यकला के उन पक्षों को उजागर करती है, जो अभी तक मुख्यधारा की चर्चा से अछूते थे।

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