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फिलीस्तीन पर इजरायल हमले को रोकने केलिए अंतराष्ट्रीय समुदाय आगे आए, पटना में प्रतिरोध सभा आयोजित

( ए.आई. एस.एफ और ऐप्सो द्वारा फिलीस्तीन पर इजरायली हमले के खिलाफ प्रतिरोध सभा का आयोजन किया गया )

पटना: ऑल इंडिया स्टूडेंट फेडरेशन (ए.आई. एस.एफ) और अखिल भारतीय शांति व एकजुटता संगठन ( ऐप्सो) के संयुक्त तत्वाधान में पटना कॉलेज कैंटीन के पास फिलीस्तीन पर इजरायल के अवैध कब्जे और बेगुनाहों के निर्मम कत्लेआम के खिलाफ प्रतिरोध सभा का आयोजन किया गया। इस आयोजन में कॉलेज के छात्रों के अलावा पटना के बुद्धिजीवी, सामाजिक कार्यकर्ता आदि शामिल हुए।

इस प्रतिरोध सभा का संचालन करते हुए ए.आई. एस.एफ के पटना जिला सचिव मीर सैफ अली ने कहा “बच्चे मारे जा रहे हैं, औरतें मारी जा रही है। जिस तरह फ्रांस फ्रासीसियों का है, भारत भारतीयों का है उसी प्रकार फिलीस्तीन फिलीस्टीनियों का होना चाहिए। अमेरिका फिलीस्तीन और इजरायल के बीच बिल्ली का का कर रहा है। अमरीका सबको भरमा रहा है। “

प्रतिरोध सभा में सुनील सिंह ने फिलीस्तीन और इजरायल संघर्ष के ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य को सामने रखते हुए बताया ” 1948 के पूर्व दुनिया के इतिहास में कहीं भी इजरायल का नाम हमलोगों ने नहीं सुना था। जब इजरायल नक्शा में था ही नहीं तो फिर यह अस्तित्व में कैसे है। इजरायल आज सेटलर कोलोनियालिज्म की संज्ञा दी जाती है। यानी हमारे घर में घुसकर के हम ही को घर से बाहर कर दिए गए। फिलीस्तीन के नागरिक मारे जा रहे हैं, महिलाएं, बूढ़े और बच्चे मारे जा रहे हैं। सच और ईमानदारी को छुपाया गया। यह साम्राजयवादी मुल्कों की साजिश है। 2000 में 55 दिनों तक युद्ध चला, फिर 2021 में संघर्ष चला वह भी 14 दिनों तक चला । गाजा पट्टी के लोग आज मौत की जिंदगी जी रहे थे। गाजा पट्टी आज 41किमी लंबा और 10 किमी चौड़ी पट्टी में सिमट गई है। हमलोग फिलीस्तीन के ‘हमास’ , ‘फतह’ आदि ए नाम सुनते हैं लेकिन इजरायल के आतंकवादियों का आना हमलोगों ने सुना है। फिलीस्तीन के लोगों ने अन्याय सहने के बदले विरोध करना तय किया, मौत के बदले अन्याय का विरोध करना तय किया है।”

‘ ऐप्सो’ ए कार्यालय सचिव जयप्रकाश ने बताया ” दुनिया में कहीं भी झंझट हो रहा है वहां पीछे से अमेरिकी साम्राज्यवाद । जो काम पहले ब्रिटेन ने किया वह काम अमेरिका कर रहे हैं। अमेरिका के दुनिया भर में 800 सैनिक अड्डे हैं। भारत पहले भी फिलीस्तीन के पक्ष में खड़ी हो रही है जबकि अब हमारे प्रधानमंत्री इजरायल का समर्थन कर रही है। गाजा पट्टी में बिजली, पानी, दवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। गाजा को नरक बना दिया गया है। खुद इजरायल के अंदर वहां के अखबार नेतान्याहू के खिलाफ लिख रहे हैं कि यह आदमी तानाशाह बन चुका है। नेतान्याहू पर भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं। खुद हमास को खड़ा करने में नेतान्याहू की भूमिका रही है । जो सरकार गाजा को लेकर इतना सक्रिय है वही मां मणिपुर को लेकर चुप्पी साधे हुए है। जितने पूंजीवादी मुल्क एशिया, अफ्रीका को लूटकर अपने यहां महल खड़ा कर रहे हैं। यूक्रेन में हमने देखा की अमरीकी व यूरोपीय देशों के सहयोग के कारण युद्ध आजतक जारी है। अमेरिका का सबसे धंधा हथियार बेचकर होता है। दुनिया भर में युद्ध चलते रहने चाहिए ताकि हथियारों की बिक्री जारी रह सके। अफगानिस्तान पर बनी अमेरिकी फिल्म को लेकर को हमें देखना चहिए। अमेरिका दुनिया में लोकतंत्र की ठेकेदारी रखे हुए है जबकि वहां काले लोगों के साथ जो हो रहा है उससे हम सभी वाकिफ है। अमेरिका कभी भी सीधे सीधे युद्ध में नहीं जाता है। हमेशा पीछे से देशों को उकसा कर युद्ध लड़वाता है। “

‘ऐप्सो’ के राज्य उपाध्यक्ष डॉ के. एन सिंह ने बताया ” फिलीस्तीन पर हमला करने की साजिश इजरायल और अमेरिका के इशारे पर किया गया है। जिस नीति पर अमेरिका चल रहा है वह दुनिया भर में शांति नके लिए घातक है। अमेरिका अपनी मंदी को दूर करने के लिए युद्ध करवाता है। देश की आजादी के लिए जिन लोगों ने कुर्बानी दी वे आज भी गंगा – जमुनी संस्कृति के साथ हैं। मूल बात है पूंजीवाद और साम्राज्यवाद। इन दोनो को टरगेट करना हमारी जवाबदेही होना चाहिए। “

माकपा नेता अरुण कुमार मिश्रा ने कहा ” फिलीस्तीन की लड़ाई सेक्युलर लड़ाई थी। यासिर अराफात सेक्युलर नेता थे। कैंप डेविड समझौता हुआ लेकिन बात आगे नहीं बनी। फिलीस्तीन में हमास जैसा संगठन कैसे आया यह हमें देखना होगा। हमास के बारे पश्चिमी मीडिया ने झूठ फैलाया की हमास द्वारा चालीस बच्चों का सार काट लिया गया। अमेरिका के राष्ट्रपति को भी अपने बयान वापस लेना पड़ा। गाजा में दवा लेने के लिए भी तीन पुलिस पोस्ट से गुजरना होगा किसी भी एमबुलेंस में रोगी ले जा रहे हैं तो तीन जगह पर चेकिंग करता है। यह कितना अपमानजनक है। सोवियत यूनियन के बिखराव के बाद जो दुनिया बनी है उसे ध्यान से देखना होगा। दूसरे विश्वयुद्ध के बाद जब राष्ट्रीय आंदोलन आगे बढ़ रहा था। चीन, क्यूबा और वियतनाम की क्रांति हुई थी लेकिन 1991के बाद प्रतिक्रांति का दौर है। प्रधान मामला आर्थिक मामला होता है। नवउदारवादी अर्थव्यवस्था ही सबसे प्रधान है। कहा जाता रहा है पूंजीवाद बरकरार रहा है इसका कुछ नहीं किया जा स्कॉट। जबसे नवउदारवाद आया है तभी से इजरायल से भारत की दोस्ती भी बढ़ी। इसी के साथ साथ यहुदीवाद फासीवाद में तब्दील होता जा था है। अमेरिका ने अरब दुनिया की प्रगतिशील शक्तियों को व्यवस्थित रूप से खत्म किया। जेल में बंद जूलिया आसंजे ने अमेरिकी साम्राज्यवाद के अपराधों को दुनिया के सामने रखा है। 2008 के विश्वयापी मंदी के बाद अरब वर्ल्ड में जिन लोगों को पूर्व में समर्थन दिया था उन सबको मरवा दिया गया था। “

प्रतिरोध सभा को पटना जिला किसान सभा के संयोजक गोपाल शर्मा और पी.एम.सी.एच के युवा चिकित्सक डॉ अंकित और ए.आई. एस.एफ के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव विश्वजीत कुमार ने भी संबोधित किया। प्रतिरोध सभा की अध्यक्षता समाजिक कार्यकर्ता देवरत्न प्रसाद ने किया।

प्रमुख लोगों में थे ऐप्सो के राज्य महासचिव अनीश अंकुर, ए.आई नेता . एस.एफ बिट्टू भारद्वाज, तौसीक आलम, सरफराज, अफजल गनी, यीशु , निखिल, डॉ अंकित , आदित्य राकेश, विकास कुमार , आनंद कुमार , नवीन भंडारी, अली रजा हाशमी आदि मौजूद थे।

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