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बिहार उपचुनाव में तेजस्वी यादव को बड़ा झटका, RJD के चार लाख कार्यकर्ताओं का डेटा लीक

पटना: बिहार में चार विधानसभा सीटों पर चल रहे उपचुनावों के बीच राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के लिए एक बड़ा झटका सामने आया है। राजद के चार लाख से अधिक सक्रिय कार्यकर्ताओं का डेटा लीक हो गया है, जिससे राज्य की राजनीति में हलचल मच गई है।

उपचुनावों में इस डेटा लीक का समय भी खासा महत्वपूर्ण है, क्योंकि इन चुनावों को 2025 में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले का एक लिटमस टेस्ट माना जा रहा है। महागठबंधन के कब्जे वाली तीन सीटों पर अब एनडीए ने अपने चुनावी प्रदर्शन को दोहराने का संकल्प लिया है, जबकि राजद अपनी पकड़ मजबूत बनाए रखना चाहती है। इस बीच, प्रसिद्ध राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर भी अपनी नई पार्टी के साथ मैदान में हैं, जो चुनावी माहौल को और गर्म बना रहा है।

डेटा लीक की संभावित वजहें और राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ

सूत्रों की मानें तो यह लीक प्रशांत किशोर की टीम तक पहुँच चुका है, और उन्होंने कथित रूप से राजद के कार्यकर्ताओं से संपर्क स्थापित करना भी शुरू कर दिया है। हालांकि, जनसुराज के प्रवक्ता संजय ठाकुर ने इस दावे का खंडन किया है। ठाकुर के अनुसार, “हमें किसी के डेटा की आवश्यकता नहीं है। प्रशांत किशोर जी स्वयं 2022 से पदयात्रा के माध्यम से अपना डेटा इकट्ठा कर रहे हैं।” उनका कहना है कि उपचुनाव में संभावित हार को भांपते हुए राजद के लोग अब बहाने ढूंढ़ रहे हैं।

राजद की चिंता और कार्यकर्ताओं की स्थिति

डेटा लीक की खबर से राजद में चिंता की लहर है। चारों विधानसभा क्षेत्रों से खबरें आ रही हैं कि विरोधी दलों के लोग अब राजद के कार्यकर्ताओं से संपर्क साध रहे हैं, जिससे राजद नेतृत्व में बेचैनी है। हालांकि, पार्टी के प्रवक्ता एजाज अहमद ने इसे अधिक महत्व नहीं दिया। उन्होंने कहा, “हमारे कार्यकर्ता पार्टी के साथ मजबूती से जुड़े हुए हैं और किसी बाहरी संपर्क से हमारी एकता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।” उनका कहना है कि पार्टी उपचुनाव में बेहतर प्रदर्शन करेगी।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि किसी पार्टी के कार्यकर्ताओं का डेटा लीक होना एक गंभीर मामला है। विशेषज्ञ डॉक्टर संजय कुमार के अनुसार, “ऐसे मामलों में विपक्षी दल कार्यकर्ताओं को अपने पक्ष में करने के लिए प्रलोभन दे सकते हैं, और यही चिंता राजद को सता रही है।” उनका मानना है कि इस लीक का असर केवल उपचुनाव ही नहीं, बल्कि 2025 के विधानसभा चुनावों पर भी पड़ सकता है।

बिहार के इन उपचुनावों में डेटा लीक का यह मुद्दा राजद के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि राजद इस चुनौती का सामना कैसे करता है और क्या इसके राजनीतिक परिदृश्य पर कोई गहरा असर होता है।

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