संसद के शीतकालीन सत्र के 14वें दिन लोकसभा में संविधान के 75 वर्ष पूरे होने पर एक महत्वपूर्ण चर्चा हुई। इस अवसर पर कन्नौज से समाजवादी पार्टी के सांसद और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सरकार को आड़े हाथों लिया और संविधान, सीमाओं की सुरक्षा, अर्थव्यवस्था, लोकतंत्र और समाज में व्याप्त असमानता पर गंभीर सवाल उठाए।
सीमाओं की सुरक्षा पर गंभीर सवाल
अखिलेश यादव ने देश की सीमाओं की सुरक्षा को लेकर चिंता जताते हुए कहा कि “आज हमारे देश की सीमाएं सिकुड़ रही हैं। अरुणाचल प्रदेश में चीन के बगल में बसे गांवों और लद्दाख में दोनों देशों की सेनाओं के पीछे हटने की घटनाओं ने हमारी सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।” उन्होंने रेजांगला मेमोरियल के टूटने और लद्दाख में भारतीय सैनिकों की स्थिति पर भी सवाल उठाया, और सरकार से इन मुद्दों पर स्पष्टीकरण मांगा।
अर्थव्यवस्था और गरीबी पर हमला
अखिलेश यादव ने भारत की वर्तमान आर्थिक स्थिति पर भी अपनी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा, “जब देश के 140 करोड़ लोगों में से 82 करोड़ लोग सरकारी अनाज पर निर्भर हैं, तो इसे एक तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था कहना मुश्किल है।” उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि देश की अधिकांश संपत्ति कुछ चुनिंदा परिवारों के हाथों में सिमट कर रह गई है। साथ ही, उन्होंने सरकार से गरीबों की स्थिति और प्रति व्यक्ति आय का डेटा सार्वजनिक करने की मांग की।
जातीय जनगणना की मांग
अखिलेश यादव ने जातीय जनगणना की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा, “अगर भाजपा सरकार यह नहीं कराती, तो जब हमें मौका मिलेगा, हम इसे जरूर करवाएंगे।” उन्होंने संविधान की प्रस्तावना का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि सरकार ने अल्पसंख्यकों के खिलाफ भेदभाव बढ़ाया है।
लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सवाल
अपने भाषण में अखिलेश ने लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को खतरे में बताया। उन्होंने कहा, “आज जो लोग अन्याय के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं, उन्हें जेल में डाला जा रहा है। हर मस्जिद के नीचे मंदिर खोजने की राजनीति ने देश की शांति को खतरे में डाल दिया है।” उन्होंने उत्तर प्रदेश की स्थिति का जिक्र करते हुए कहा कि राज्य में कानून व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है।
उत्तर प्रदेश पर निशाना
अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश की स्थिति पर कटाक्ष करते हुए कहा, “हमारा प्रदेश कस्टोडियल डेथ्स, महिलाओं के उत्पीड़न और पेपर लीक मामलों में शीर्ष पर है। यहां तक कि रक्षा मंत्री और प्रधानमंत्री भी इसी प्रदेश से आते हैं, लेकिन फिर भी उत्तर प्रदेश विकास के मामले में पिछड़ा हुआ है।” उन्होंने अग्निवीर योजना को भी खारिज करते हुए इसे युवाओं के साथ अन्याय बताया।
संविधान को बचाने की अपील
अखिलेश यादव ने संविधान की रक्षा की आवश्यकता पर बल दिया और कहा, “संविधान बचेगा तो न्याय बचेगा और तभी सभी को समान मान-सम्मान मिलेगा।” उन्होंने एक बार फिर संविधान बचाने के लिए एक और ‘करो या मरो’ आंदोलन की जरूरत का आह्वान किया।
प्रधानमंत्री की अनुपस्थिति पर तंज
अखिलेश यादव ने इस चर्चा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अनुपस्थिति पर भी तंज कसा। उन्होंने कहा, “यह कैसी चर्चा है संविधान की, जो बिना प्रधान के हो रही है?”
अखिलेश यादव ने अपने भाषण के माध्यम से न केवल सरकार के कई प्रमुख मुद्दों पर सवाल उठाए, बल्कि संविधान की रक्षा और न्याय के मुद्दे पर भी गंभीर चिंताएं व्यक्त की। उनका यह बयान संसद में हुई इस महत्वपूर्ण चर्चा को और भी गरमाता हुआ दिखाई दिया।